3 लाख में बिजनेस शुरु कर, हर महीने करें मोटी कमाई || मछलियों को थंड में बीमारियों से कैसे बचाएँ?

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मछली पालन का 3 लाख में बिजनेस
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आप 3 लाख में बिजनेस में कोई बिजनेस करने को सोच रहे है तो, इस काम को टेक्नोलॉजी की मदद से अपने घर पर ही कर सकते है। आपके पास खली जगह है तो अच्छा है, नहीं तो आप अपने छत से भी इस काम की  शुरूआत कर सकते है। हम बात कर रहे है बहुत ही proffitable  बिजनेस मछली पालन की।

मछली पालन का व्यापार बहुत पुराना और मुनाफे वाला काम है। एक रिपोर्ट के अनुसार, आज हमारे देश में जितनी मछली की खपत है 2030 तक ये खपत 4 गुणा हो जायेगा। यानि कई वर्षो तक अभी ये व्यापार मुनाफा वाला रहेगा। पहले आप इस काम को सिर्फ तालाब में ही कर सकते थे, लेकिन तकनीक की मदद से आप कही भी इस काम को कर पैसा कमा सकते है।

Biofloc Technology मछली पालन में आने वाली सबसे बड़ी बाधा को ख़त्म कर दिया है। Biofloc तकनीक से मछली पालन बहुत ही आसान हो गया है। बहुत सारे लोग इस काम को करने की सोचते है, पर इसके लिए जो जमीन की जरूरत होती है, वही जाकर रुक जाते है। जमीन है भी तो उसमे तालाब बनाने का झंझट होता है। इसलिए वो सोच के ही छोड़ देते है।

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Biofloc Fish Farming क्या है?

Biofloc Tank
3 लाख में बिजनेस (Biofloc Tank)
Biofloc नयी तकनीक है जिसकी मदद से हम मछली पालन बिना तालाब या पोखरे के कर सकते है। Biofloc  तकनीक में एरोबिक बैक्टीरिआ का उपयोग होता है, जो मछलिओं के मल को प्रोटीन में बदल कर मछलियों को भोजन की पूर्ति भी करता है। जिस कारण मछलिओं का फीड का खर्च भी कम आता है। इस बैक्टीरिया को जिन्दा रखने के लिए बिजली की 24 घंटे जरुरत रहती है।
  • बायोफ्लॉक में पानी की बचत भी होती है। रोज आपको सिर्फ 1 से 5 प्रतिशत ही पानी बदलने की आवश्कता पड़ेगी। 
  • बायोफ्लॉक तकनीक में बैक्टीरिया अपशिष्ठो से जो भोजन बनाते है उसमे 40 से 45 प्रतिशत तक प्रोटीन तथा 15 से 25 प्रतिशत वासा होता है। इनके द्वारा तैयार बहन में विटामिन्स और मिनिरल का अच्छा स्रोत होता है। 

मछली पालन टैंक में अच्छा कैसे हो सकता है ? 

  1. इस तकनीक से हम सिमित जगह पर भी कम पूँजी (3 लाख में बिजनेस) में भी fish farming in bihar कर सकते है। 
  2. टैंक में हम आसानी से पानी का तापमान (temperature) मेन्टेन रख सकते है जो किसी तालाब में संभव नहीं है। 
  3. टैंक में मछलियों का खाना कम लगता है क्योकि Biofloc बैक्टीरिआ इनके ही मल से फीड तैयार कर देती है। 
  4. टैंक में किसी मछली को कोई बीमारी होती है तो उसका ईलाज सरल है जबकि तालाब में बहुत मुश्किल है। 
  5. टैंक को आप सुरक्षा के लिए ऊपर से टेंट बना कर ढक सकते है,जिससे बगुला और पक्षी मछलियों को नहीं ले जा सकती, जबकि तालाब को आप उतना सेफ नहीं बना सकते।

क्या बायोफ्लॉक तकनीक से तालाब जैसे मछली पालन हो सकता है ?

बायोफ्लॉक तकनीक से तालाब से अच्छा मछली उत्पान होता है। जिसके कई सारे कारण है: 
  1. तालाब को बनाने में खर्च बहुत होता है। इसमें पानी को मेन्टेन रखने के लिए बोरिंग से लगातार पानी डालना पड़ता है। 
  2. वही बायोफ्लॉक टैंक में 4 महीने में एक बार ही पानी भरना पड़ता है। उस समय भी आपको पूरा टैंक खली करने की जरुरत नहीं होती। इसमें प्रतिदिन 1 से 5 प्रतिशत तक ही पानी डालने की जरुरत होती है। 
  3. तालाब की सफाई करना बहुत ही मुश्किल का काम है, जबकि एक टैंक को बहुत ही आसानी से साफ़ कर सकते है। टैंक की सफाई रहने से मछली का ग्रोथ अच्छा होता है। 

मछली पालन के लिए कौनसा टैंक बनवाना चाहिए ? 

मछली पालन के लिए दो तरह के टैंक का निर्माण करवा सकते है,
  1. आयताकार टैंक 
  2. गोलाकार टैंक 
1. आयताकार टैंक –
इसको निर्माण करने में लागत कम आता है, और आसानी से बन भी जाता है, लेकिन इसके लिए जमीन अधिक लगता है। इस टैंक को मेन्टेन करना मुश्किल होता है क्योकि इसमें कचरा जल्दी जमा होता है। इसके कोनो में गन्दगी जल्दी लगाना शुरू होता है और पुरे टांको को गन्दा कर देता है। जिस कारण ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है। इस टैंक में पानी का फ्लो भी कम होता है। इस तरह के टैंक का उपयोग सीमेंट टैंक में मछली पालन के लिए किया जाता है। 
  1. गोलाकार टैंक –

इस तरह के टैंक का उपयोग प्लास्टिक टैंक में मछली पालन करने के लिए किया जाता है। गोलाकार टैंक का सफाई आसानी से हो जाता है। इसमें पानी का प्रवाह अच्छा रहता है जिस कारण टैंक में गन्दगी कम बैठता है। टैंक साफ़ रहने से ऑक्सीजन का लेबल भी अच्छा रहता है। गोलाकार टैंक में मछलियों को खाना भी अच्छे से मिलता है।

3 लाख में बिजनेस के लिए बायोफ्लॉक मछली टैंक कैसे बनवाये ?

आप ऊपर बताये गए दोनों टैंक में से किसी भी टैंक को बनवा सकते है। एक गोलाकार 250 वर्गफीट के टैंक बनवाने में लगभग एक लाख तक का खर्च आता है। उसमे और सब मशीनरी लगवाने में 30 से 40 हज़ार की लागत आता है। प्लास्टिक टैंक में मछली पालन करने के लिए कंपनी पूरा सेट करके आपको देती है। वही सीमेंट टैंक में मछली पालन करने के लिए आप खुद से भी इसको बनवा सकते है।  

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मछली के कौनसे प्रजातियां का पालन कर सकते है ? / ( machli ke kaunse prajatio ka palan kar sakte hai): 

एक साथ टैंक में हम कई प्रजातियों का उत्पादन कर सकते है :- 
  • Carp (कार्प)
  • Sailman (सैल्मन)
  • Tilapiya (तिलापिया)
  • Traut (ट्राउट)
  • Parch (पर्च)
  • Grass (ग्रास)
  • Bhakur (भाकुर)
  • Naina (नैना)
  • Silver (सिल्वर)
इन सभी किस्म के मछलिओं का हम एक साथ उत्पादन कर सकते है।

मछली बीज कहाँ मिलता है ?

मछली का बीज आप अपने नजदीकी किसी भी हिरेचरी से खरीद सकते है। वैसे साउथ इंडिया, पश्चिम बंगाल में इसका बहुत बड़ा मार्किट है। आप कोलकाता, सबौर, नई दिल्ली, आगरा, विशाखापट्नम,सहारनपुर आदि जगह से मछली का बीज माँगा सकते है।

मछली पालन से कितना मुनाफा कमा सकते है | Machhli Palan me Labh kitna hoga| Fish Farming Benefits

Biofloc Fish Farming से मुनाफा मछली के किस्म पर निर्भर करता है। कुछ मछली 4-7 महीने में 5 से 6 kg तक की भी हो जाती है तो कुछ 1 kg तक की ही रहती है। इस बिजनेस में जितना वजनी मछली होगी उतनी ही कीमत भी मिलेगा और उतना ही आपका मुनाफा भी अधिक होगा। यदि आप 3 लाख में बिजनेस की शुरुआत कर रहे है तो 9 से 10 लाख तक का मुनाफा हो सकता है। Biofloc तकनीक से मछली पालन करें 

मछली पालन के लिए सब्सिडी कितना मिलता है ?

सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए लोगो को लोन तो देती ही है। साथ ही वैसे लोगो को सब्सिडी भी देती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। वो थोड़े पैसे का इंतेज़ाम कर इस काम को कर सकते है। सरकार इस काम को करने के लिए 40 प्रतिशत तक का सब्सिडी देती है। जो SC/ST और महिलाओ के लिए बढ़ जाता है। आप भी सरकार के इस स्कीम का फायदा उठा सकते है।

मछली पालन में किन-2 बातो का ध्यान रखे। 

  • टैंक के पानी का pH लेबल 5 से 7.5 के बिच ही रहे।  इस बात का खास ख्याल रखे।
  • टैंक में गन्दगी ज्यादा न हो क्योकि इसके बढ़ते ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है। 
  • मछलियों का फीडिंग समय से होता रहे। मछलियों को एक दिन में तीन बार से ज्यादा खाना ना दे। 
  • पानी की जाँच करते रहे की उनमे सभी तत्व मछलियों के अनुरूप है की नहीं। टैंक में खनिज तत्व के अनियमितता से मछलियों को नुकसान होना शुरू हो जाता है और हमें पता भी नहीं चलता।  

क्या मछली को भी थंड लगता है ?

थंड में निचली सतह की तुलना में ऊपरी सतह की तापमान कम होता है, जिस कारण से मछलियाँ ज्यादातर निचली सतह पर ही रहती है। पानी के निचली सतह पर अधिक समय रहने से मछलियों को Epizootic Ulcerative Syndrome (ऐपिजुएटिक अल्सरेटिव सिन्ड्रोम) नामक बीमारी होने के संभावना होती है। हम इसे लाल चकते वाली बीमारी के नाम से भी जानते है। इस बीमारी को समय पर नहीं पहचान के ईलाज करने पर जल्द दूसरे मछली को भी होने लगता है। कुछ ही समय में पुरे तालाब में यह बीमारी फ़ैल जाता है। जिस कारण हमें भड़ी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मछलियों को थंड में बीमारियों से कैसे बचाएँ?

मछलियों को ठण्ड में ऐसे बीमारियों से बचाने के लिए लोग Disinfect का प्रयोग किया जाता है। जिस में 1 ली. Cifaix (सिफैक्स) को प्रति हेक्टर तालाब में डाला जाता है। तालाब या टैंक के ऊपरी सतह पर इसको छिड़का जाता है। बहुत लोग Germidin-20(जर्मीडीन) का उपयोग डिसइंफेक्ट के रूप में करते है। इसके इस्तेमाल से बीमारियों को बहुत हद तक रोका जा सकता है। सर्दी कम होते और धुप होने पर बहुत सी बीमारियाँ ख़त्म होने लगती है। इसलिए सर्दियों में मछलियों की खास देखभाल की जरुरत होती है।

निष्कर्ष :-

हमें उम्मीद है मछली पालन 3 लाख में बिजनेस को शुरू कर अच्छा मुनफा कमा सकते है। आपके कोई सवाल हो तो हमें कमेंट कर या मेल कर पूछ सकते है। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

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